शनिवार, 3 सितंबर 2022

8thseptember_avataran


संत रामपाल जी महाराज एक ऐसे महान संत जिन्होंने परमार्थ के लिए अनेकों जुल्म सहते हुए सदग्रंथों का वास्तविक ज्ञान और पूर्ण मोक्ष प्राप्ति मंत्र श्रद्धालुओं को प्रदान करके नकली धर्मगुरुओं के द्वारा बताए अज्ञान की पोल खोल दी। अपने तत्वज्ञान से समाज में व्याप्त तमाम कुरीतियों तथा बुराइयों पर अंकुश लगाया। जिससे विश्व में अमन चैन कायम होगा।
संत रामपाल दास जी महाराज जी के द्वारा सत भक्ति से सुख होता है।
लेखक संत रामपाल दास जी महाराज
8thSeptember_AvataranDiwas

बुधवार, 5 अगस्त 2020

गणेश पुजा

श्री गणेश जी के भक्ति से हमारा मोक्ष संभव नहीं है,
मोक्ष प्राप्ति के लिए आदि गणेश अविनाशी प्रभु कबीर परमात्मा की भक्ति करने जरूरी है




जानिए इस गणेश चतुर्थी में श्री गणेश जी की भक्ति से हमारा मोक्ष नहीं हो सकतामोक्ष प्राप्ति के लिए #आदि_गणेश अर्थात कबीर परमात्मा की भक्ति जरूरी है।जानने के लिए हर रोज देखें साधना टीवी रात्रि7:30 से 8:30जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जीके मंगल प्रवचन

बुधवार, 15 जुलाई 2020

मानव वास्तव में कोन कहलाता है

प्रकृति की सबसे अद्वितीय, विशिष्ट एवं अनमोल कृति मानव है, किन्तु आज के विश्व समुदाय में वह अलग -अलग एवं पृथक - पृथक धर्मों के माध्यम से प्रकृति का अनेक नामकरण करके इसकी उपासना करती है यह बात सर्वविदित है और इसमें कोई बुराई भी नहीं है । कि हम उस प्रकृति को आराध्य मानते हैं। जिसने हमें बनाया और हमें तरह-तरह के संसाधनों से सुसज्जित किया।

    यद्यपि प्रकृति ने सिर्फ हमें ही नही अपितु अन्य जीव जन्तुओं को भी बनाया किन्तु मनुष्यों एवं अन्य जीवों में थोड़ा सा अधिक महत्व मानव जाति को दिया और हमें चिन्तनशील एवं कल्पनाशील अति विकसित मस्तिक दे दिया , कारण यह था कि जैसे एक परिवार का संरक्षक परिवार के अन्य सदस्यों से अनुभवी एवं चिन्तनशील होता है। एक देश का कर्णधार तथा प्रतिनिधित्व करने वाला आम जनता से अधिक संवेदनशील एवं निर्णयशील होता है। ताकि वह अपने परिवार अपनी जनता की रक्षा एवं सेवा कर सके ठीक उसी प्रकार प्रकृति ने इस सृष्टि के संरक्षक के रूप में हमें बनाया और इसी कारण मानव को चिन्तनशीलता एवं कल्पना करने की शक्ति दी और चेतनापूर्ण बनाया ता कि वह अन्य समस्त जातियों की रक्षा एवं सेवा कर सके।

      किन्तु मानव जाति आज पथ - दिग्भ्रमित होती जा रही है मानव जाति ने प्रकृति की आराधना और उपासना तो अनेक धर्मो के माध्यम से की किन्तु प्रकृति के अद्वितीय रूप को अनेक नाम देकर मूल कर्तव्य से विमुख हो गये, और प्रकृति ने मानव जाति को जिसलिए इतनी शक्तियाॅ दी उसका यथोचित उपयोग करने के स्थान पर अनेक धर्मो के नाम पर प्रकृति के अनेकानेक नामकरण कर स्वार्थ सिद्धि मात्र के लिए प्रकृति की उपासना करते हुए आपस में वैमनस्यता उत्पन्न कर एक दूसरे से लड़ने लगे।

        और आज के परिवेश में आज का आधुनिक मानव सिर्फ भौतिक सुख लोलुपता के लिए इस प्रकृति की उपासना कर रहा है। जो थोड़े बहुत साधु संन्यासी पैगम्बर या धर्म-गुरू हैं वो थोड़ा सा सामान्य से ऊॅचा उठकर मोक्ष रूपी स्वार्थ के लिए प्रकृति की उपासना की प्रेरणा देते हैं। किन्तु प्रकृति ने जो हमें अति विशिष्ट मस्तिष्क दिया है उसकी शक्ति का समुचित उपयोग करते हुए यदि हम स्वतः में आत्मचिन्तन करें तो यही पायेंगे कि हम मानव जाति के लिए या फिर प्रकृति के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं, कुछ भी नही । और इसी का दुष्परिणाम है कि हम प्रकृति के कोप का शिकार भी हो रहे हैं। जबकि वास्तविकता यही है कि हमें प्रकृति ने यह चेतन -शक्ति, यह वैज्ञानिक एवं कल्पनाशील मस्तिष्क मात्र इस प्रकृति की रक्षा एवं सेवा के लिए प्रदान किया हैं।





संसार के अधिकतर लोग अंधविश्वास और मान्यताओं के कारण पुण्य-पाप और सही-गलत के भय में  भ्रमित जीवन जी रहे हैं जिसके कारण उनके दैनिक कर्मों में अनेकों प्रकार की त्रुटियाँ हो रही है और उनका जीवन दिन-प्रतिदिन अधिक संघर्षमयी हो रहा है | व्यक्ति को पुस्तकों और इन्टरनेट पर सरलता से सभी प्रकार की जानकारी मिलती है परन्तु यह जानकारी  सम्पूर्ण ज्ञान नहीं है क्योंकि इसमें व्यक्ति को आध्यात्मिक प्रश्नों का उत्तर नहीं मिलता है |

कुछ मुख्य प्रश्न इस प्रकार है :- 1 परमात्मा साकार है या निराकार?
2 हम देवी देवताओं की इतनी भक्ति करते हैं फिर भी दुखी क्यों है?
3 शास्त्रों में किस प्रभु की भक्ति सर्व श्रेष्ठ बताई है?
4 पवित्र गीता जी में बताए अनुसार वह तत्वदर्शी संत कौन है?
5 पवित्र गीता ज्ञानदाता अपने से अन्य किसकी शरण में जाने को कह रहा है? आदि!

अपने भय और भ्रम से मुक्ति के लिए सभी को ऐसे सटीक ज्ञान एवं तार्किक दृष्टि की आवश्यकता है जो उन्हें अभी तक अन्य किसी भी प्रसिद्ध पुस्तक अथवा व्यक्ति द्वारा प्राप्त नहीं है केवल संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान के अलावा।
पवित्र पुस्तक जीने की राह व ज्ञान गंगा अवश्य पढ़ें।

जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हीन्दु मुस्लिम सिक्ख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।


बुधवार, 1 जुलाई 2020

दीपावली मनाने का तरीका

दीपावली एक दीपों का उत्सव है जो त्यौहार अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक है यह त्यौहार मानव जाति को अत्याचार रहित सत्य व सदाचार का जीवन जीने की सलाह देता है


                      त्रेता युग में ऋषि नारद के श्राप वश तीन लोक के सतोगुण भगवान विष्णुजी कर्म का दंड भोगने के लिए दशरथ के घर श्री राम रूप में जन्म लेते हैं फिर चौदह वर्ष का वनवास भोगते समय लंकेश्वर राजा रावण अपनी बहन सूर्पनखा का प्रतिशोध लेने के लिए सीता जी को उठाकर ले जाता है फिर श्री राम ऋषि मुनींद्र जी के आशीर्वाद से रामेश्वरम पर सेतु बनाकर अपनी सेना लेकर लंकापति रावण को मार कर सीता की पवित्रता के लिए अग्निपरीक्षा लेकर वापस घर लाते हैं तब अयोध्यावासी दीप जलाकर खुशी मनाते हैं कुछ दिन बाद धोबी के व्यंग्य से गर्भवती सीता को श्री राम घर से निकाल देते हैं और वह अपना जीवन वाल्मीकि जी के आश्रम में व्यतीत करती हैं फिर लव और कुश के द्वारा श्री राम को युद्ध की चुनौती देने पर श्री राम सरयू नदी के अंदर जल समाधि ले लेते हैं और अपने कर्म दंड नहीं काट सके इसलिए स्पष्ट हैं कि श्रीराम पूर्ण परमात्मा अखिल ब्रह्मांड के नायक नहीं है


                 श्री राम तीन लोक के भगवान विष्णु के अवतार थे जो जन्म मृत्यु में है जो अविनाशी भगवान नहीं है ब्रह्मा विष्णु महेश के पिता काल भगवान हैं और माता दुर्गा हैं यह 21 ब्रह्मांड के अंदर सृष्टि रचना करते हैं 21 ब्रह्मांड भी नाशवान है
                अतः मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य शास्त्र अनुकूल सत भक्ति करके मोक्ष प्राप्त करना है आज के समय में पूरे विश्व में तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज शास्त्र अनुकूल सत भक्ति करवाते हैं जिन से नाम उपदेश लेकर मर्यादा में रहकर सत भक्ति करने से मोक्ष प्राप्ति होती हैं और पूर्ण आध्यात्मिक लाभ मिलता है
            अधिक जानकारी के लिए देखें संत रामपाल जी महाराज के अमृत प्रवचन साधना चैनल पर रोज रात्रि 7:30 से 8:30 तक

बुधवार, 24 जून 2020

गुरु पूर्णिमा

सात समुन्द्र की मसि करूं, लेखनि करूं बनिराय।
धरती का कागद करूं, गुरु गुण लिखा न जाय

सब पृथ्वी का कागज, सब जंगल की कलम, सातों समुद्रों को स्याही बनाकर लिखने पर भी गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते |



गुरु के बिना जीवन अधूरा और दिशाहीन है।
कभी सड़क पर रहने वाले उन बच्चों का जीवन देखिए जिनका कोई गुरू नहीं होता। उन्हें न तो शिक्षा मिलती है ना ही संस्कार। जिस तरह मां बाप के बिना बच्चा अनाथ होता है उसी तरह गुरु के बिना शिष्य।
जैसे सूर्य अंधकार को चीरकर उजियारा कर देता है उसी समान गुरू दीपक की भांति शिष्य के जीवन को ज्ञान रूपी प्रकाश से भर देता है।




धार्मिक और शैक्षणिक महत्व रखने वालेे गुरू पूर्णिमा के दिन का भारतीय शिक्षाविदों और विद्वानों के लिए बहुत महत्व है। यह दिन आषाढ़ (जून-जुलाई) में पूर्णिमा के दिन को मनाया जाता है । इसे त्योहार की तरह भारतीय उप-महाद्वीप में प्राचीन युग से मनाया जाता आ रहा है। आज 16 जुलाई को गुरू पूर्णिमा का यह दिन भारत के अधिकांश राज्यों और पड़ोसी देशों में गुरूओं को समर्पित रहेगा।

कबीर, सात द्वीप नौ खण्ड में, गुरु से बड़ा ना कोय। करता करे ना कर सकै, गुरु करे सो होय।।

सतगुरु भक्ति मुक्ति के दानी, सतगुरु बिना न छूटै खानी। सतगुरु भक्ति कराकर मुक्ति प्रदान करते हैं। वे भक्ति तथा मुक्ति के दाता हैं। सतगुरु के बिना चार खानी (अण्डज, जेरज, उद्भज, श्वेतज, ये चार खानी हैं, इनमें जन्म-मरण होता है।) का यह चक्र कभी नहीं छुटता। (1) अण्डजः- जो प्राणी अण्डे से उत्पन्न होते हैं जैसे पक्षी, इसको अण्डज खानी कहते हैं। (2) जेरजः- जो जेर से उत्पन्न होते हैं, जैसे मानव तथा पशु। (3) उद्भजः- जो स्वयं उत्पन्न होते हैं, जैसे गेहूं में सरसी, ढ़ोरा तथा किसी पदार्थ के खट्टा होने पर उसमें कीड़े उत्पन्न होना, उद्भज खानी है। (4) श्वेतजः- जो पसीने से उत्पन्न होते हैं जैसे मानव शरीर या पशु के शरीर में ढ़ेरे, जूम, चिचड़ आदि ये श्वेतज खानी कहलाती है। इस प्रकार चार खानी से जीव उत्पन्न होते हैं जो कुल 84 लाख प्रकार की योनि अर्थात् शरीर का जीव धारण करते हैं और जन्मते-मरते हैं। यह चार खानी का संकट सतगुरु बिना नहीं मिट (समाप्त हो) सकता। जहां शिक्षक ( गुरु) आपको शिक्षा का महत्व समझा कर पाठ पढ़ाता है तो सदगुरु आपको परमात्म ज्ञान देकर सभी बंधनों से छुड़वाता है जिसे सदगुरू बंदी छोड़ भी कहते हैं। इस समय धरती पर संत रामपाल जी महाराज बंदीछोड़ कबीर जी के अवतार रूप में मौजूद हैं। संत रामपाल जी से नाम दीक्षा लेकर और सतभक्ति करके आप सभी बंधनों से मुक्त हो सकते हैं।

सतगुरु संसार सागर से पार करने वाले कोली (खेवट)हैं। सतगुरु ही हमारी डोली अर्थात् जीवन की गाड़ी (डोली :- जैसे दुल्हन से दुल्हा विवाह कर जिस गाड़ी में बैठाकर ले जाता है, उसे डोली कहते हैं।) को निर्बाध जंगलों से पार करता है। जंगल का अर्थ है सांसारिक व कर्म के संकटों से बचाकर भक्ति कराकर मोक्ष प्राप्ति कराते हैं। सतगुरु हमारे मादर (माता) तथा पिदर (पिता) हैं। सतगुरु भवसागर से पार करने वाले हैं। सतगुरु सुन्दर रूप अपारा, सतगुरु तीन लोक से न्यारा।।


सोमवार, 22 जून 2020

अवीनाशी परमात्मा कोन है

शिवजी पुर्ण परमात्मा नहीं है जन्म मरण के चक्र में है और शिवजी की पूजा करते है वो केसै मोक्ष प्राप्त कर सकता है


श्री शिवजी अमर नहीं है प्रमाण के लिए देखो श्री देवी पुराण तीसरा सकंद पृष्ठ नं 123 पर

8thseptember_avataran

संत रामपाल जी महाराज एक ऐसे महान संत जिन्होंने परमार्थ के लिए अनेकों जुल्म सहते हुए सदग्रंथों का वास्तविक ज्ञान और पूर्ण मोक्ष प्राप्ति मंत्...